महाराणा प्रताप सिंह का पुरा सच.

 







महाराणा प्रताप का पुरा सच 

महाराणा प्रताप का जन्म मे 1540 मे हुवा था। 

महाराणा प्रताप के पिताजी का नाम राणा उदयसिंह था।

महाराणा प्रताप के माता जी का नाम जयवंता बाई था।

महाराणा प्रताप के दो भाई थे शक्तिसिंह और जगमाल।

महाराणा प्रताप के परिवार में राणा उदय सिंह की 20 रानियां और 33 संताने और दो बहने थी।

महाराणा प्रताप के पुत्र का नाम राणाअमर सिंह था।

महाराणा प्रताप के गुरु का नाम राघवेंद्र था।

महाराणा प्रताप के सेनापति का नाम हकीम का श्री था।

महाराणा प्रताप की सेवा में राजपूत,भील,और पठान थे।

महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी का युद्ध लड़ा था।

हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 में हुआ था।

महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध में बहलोल खान को घोड़े सहित काट डाला था।

महाराणा प्रताप की ऊंचाई 7.5 इंच थी।

महाराणा प्रताप का कवच 72 किलो का था।

राणा प्रताप के जूते 10-10 किलो के थे।

महाराणा प्रताप का भला 80 किलो का था।

महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो था।

महाराणा प्रताप की दो पत्निया अजब्दे पवार ओर फुलकवर बाईसा।

महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतन था।

महाराणा प्रताप को अकबर की तरफ से मानसीह मिलने आया था।

महाराणा प्रताप को अकबर ने 8 बार संधि प्रस्ताव भेजा था।

महाराणा प्रताप की सेवा 20000 की थी।

महाराणा प्रताप ने भीलोकी सेना बनाई थी।

महाराणा प्रताप और मानसी के बीच हल्दीघाटी के मैदान में युद्ध हुआ।

महाराणा प्रताप का घोड़ा 28 फीट की खाई कूद गया था।

महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक 28 फुट की खाड़ी कूदने के बाद उसका वहीं पर अवसान हो गया था।

महाराणा प्रताप का हाथी का राम प्रसाद ने हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर के आठ हाथी और कहीं घोड़े मार दिए थे।

हल्दीघाटी के युद्ध में अकबर की सेवा ने राम प्रसाद को पकड़ के ले गई और उसका नाम पीर रखा उसे हाथी ने महाराणा प्रताप से बिछड़ने के गम में 28 दिन तक खाना नहीं खाया और उसकी मृत्यु हो गई।

देखने के बाद अकबर ने सोचा कि जिसका हाथी हमारा नहीं हो सकता वह प्रताप क्या हमारी स्वाधीनता  स्वीकारेगा।



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