कौन था मेवाड़ का वह राजा जो 80 गांव लगे फिर भी लड़ता रहा।
कौन था वह मेवाड़ का राजा जो गांव लगने पर भी लड़ता रहा। राणा सांगा वह राजा था जो 80 गांव लगे फिर भी रोड मैदान में लड़ता रहा था। राणा सांगा का एक हाथ नहीं था एक आंख नहीं थी एक पैर नहीं था फिर भी वह लड़ते रहे थे। चलो उनके बारे में शुरुआत से जानते हैं।
राणा सांगा का जन्म 12 अप्रैल 1482 में हुआ था। राणा सांगा का जन्म चित्तौड़गढ़ में हुआ था।
सांगा के पिता का नाम महाराणा रायमल था।
महाराणा सांगा का पिताजी रायमल की मृत्यु 1509 में हुई थी।
महाराणा सांगा 27 वर्ष की उम्र में मेवाड़ के राजा बने मेवाड़ के राजाओं में वह सबसे अधिक शक्तिशाली थे।
महाराणा सांगा महाराणा प्रताप के दादाजी थे।
महाराणा सांगा की माता का नाम रतनकुवारथा।
राणा सांगा की पत्नी का नाम कर्णावती देवी था।
राणा सांगा का असली नाम महाराणा संग्राम सिंह था।
महाराणा सांगा की हाइट 7.5 इंच की थी
महाराणा सांगा का वजन 150 k.g. था।
महाराणा सांगा की आंखों का कलर ब्लैक था। महाराणा सांगा के बालों का कलर ब्लैक था।
महाराणा सांगा के चार बेटे थे भोजराज, रतन सिंह,विक्रमादित्य और उदय सिंह।
महाराजा रायमल के तीन पुत्र थे पृथ्वीराज जयमल और राणा संग्राम सिंह।
राणा जय मां के तीनों पुत्र पृथ्वीराज जयमल और राणा संग्राम सिंह एक दिन गुरु के आश्रम जाते हैं गुरु ने संग्राम सिंह का हाथ देखकर बताया कि तेरी तलवार से सल्तनत कापेगी जहां तेरा ध्वज लहराएगा आस-पास कोई शत्रु नहीं भटकेगा नगर में तेरी धाक होगी बहुत जल्द मेवाड़ का राजा बनेगा। गुरु की गुरु की यह भविष्यवाणी सुनकर पृथ्वीराज बोला मेवाड़ का राजा तो बड़ा भाई बनेगा यही सुनकर संग्राम सिंह बोल की जिसकी ताकत उसी का राज यही सुनकर दोनों भाइयों के बीच लड़ाई हो गई इसमें पृथ्वीराज ने संग्राम सिंह की आंख फोड़ दी इसके बाद राणा अजमेर चले गए और कहीं युद्ध कला और सखी।
राणा संग्राम सिंह अजमेर में बड़े होने लगे यहां पर दोनों भाइयों का अवसान हो जाता है उसके बाद सरदारों ने मिलकर संग्राम सिंह को मेवाड़ का राजा बना या जाता है।
राणा सांगा 1508-1527तक मेवाड़ के राजा बने रहे।
1509 में राणा सांगा का राज्याभिषेक हुआ।
राणा सांगा मेवाड़ का राजा बनते ही उन्होंने युद्ध में अपने राज्य का विस्तार बढ़ाया राणा ने सतलुज बयाना मालवा भरतपुर उत्तर गुजरात और सिंह के कहीं प्रदेश जीत लिए।
राणा युद्ध में सेवा का खुद नेतृत्व करते थे और वह सबसे आगे ही युद्ध लड़ते थे।
राणा ने एक हिंदू राज्य बना दिया जो दिल्ली को ललकार ने लगा।
राणा ने करमचंद पवार को अजमेर का राणा घोषित करके अपनी सत्ता बड़ाई।
राणा ने इडर पर आक्रमण किया इडर नरेश भाग गया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कहीं जगह पर राणा ने अपना नाम के ध्वज पर का दिया।
राणा ने अपने विवाहित संबंध मारवाड़ ,बीकानेर ,बूंदी, आमेर, बागड़ में विवाह करके अपनी ताकत को बढ़ा दिया।
महाराणा सांगा ने 1517 में खलौती के मैदान में इब्राहिम लोदी के साथ युद्ध हुआ युद्ध में राणा के एक हाथ और पैर के पर तीर लगा राणा ने यह युद्ध जीत लिया।
राणा सांगा ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को बंदी बना लिया।
राणा ने इब्राहिम से हारजाना लेने के बाद उसको छोड़ दिया।
राणा ने गुजरात के सुल्तान को हराया और उसे घोड़े के पीछे बांधकर मेवाड़ ले गए। उसे हारजाना लेने के बाद छोड़ दिया गया।
1519 में फिर से युद्ध हुआ जिसमें राणा सांगा फिर से जीत गए।
राणा सांगा को सब ने अपना सरदार मानते हुए हिंदू पद की उपाधि दी।
1518 में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी ने गागरोंन के ढाबा बोल दिया यह सूचना सरदार ने राणा सांगा को दी राणा सांगा और खिलजी के बीच से भयंकर युद्ध हुआ इस युद्ध में राणा ने खिलजी को सभी सरदारों को मार दिया और खिलजी को बंदी बना लिया खिलजी को 5 महीने तक चित्तौड़ में कैद कर रखा और हरजाना लेने के बाद छोड़ दिया गया।
इसी दौरान काबुल के बादशाह बाबर ने इब्राहिम लोदी के बीच युद्ध हुआ 20 अप्रैल 1626 पानीपथ के युद्ध में इब्राहिम लोदी की हार हुई बाबर ने इब्राहिम को मार के दिल्ली पर अपना सत्ता स्थापित किया।
बाबर ने बयाना दुर्ग पर कब्जा कर लिया यह सूचना मेवाड़ी सरदार भागते हुए गया और राणा संग्राम सिंह को दिया राणा को गुस्सा आया और उन्होंने तुरंत ही महायुद्ध का ऐलान कर दिया संपूर्ण राजपूताना पातीपरवन संदेश भिजवाया।
16 फरवरी 1526 में बयान में बाबर को हराया और बयान पर केसरी ध्वज लहराया।
युद्ध के 1 महीने बाद तुरंत ही बाबर ने दूसरी बार युद्ध करने का निर्णय लिया सैनिकों ने लड़ने से मना कर दिया तो बाबर ने कहा कि यह युद्ध हमारे जिहाद के लिए है यह समझ कर बाबर फिर से युद्ध के लिए से सुना को तैयार किया और राणा सांगा के साथ खानवा के मैदान में बाबर ने अपनी सेवा का डेरा डाला सामने राणा सांगा ने अपनी सेवा का डेरा डाला दोनों एक महीने तक बैठे रहे बाद में युद्ध हुआ इस युद्ध में राणा सांगा को हारने के लिए मुगल बादशाह बाबर आया था बाबर ने अपनी हर देखते हुए तुलगामा पद्धति अपनाई ईस पद्धति मुगल अपने दुश्मन को पीछे से वार करते हैं इस इस पद्धति में मुगल ऑन कहीं युद्ध जीते थे यह पद्धति हमारे राजपूत को मालूम नहीं थी कि इस तरह से भी गद्दारी से युद्ध लड़ा जाता है हमारे यहां एक सामने वाले से सामने वाला युद्ध करता है पर इस युद्ध में बाबर ने तुलगुमा पद्धति के मुताबिक युद्ध किया जो की पीछे से वार करना यही तुलना पढ़ती है। इस युद्ध पद्धति के बाद भी राणा की जीत हो रही थी इतने में ही एक तीर राणा को लगा जिसकी वजह से राणा हाथी से नीचे गिरे और बेहोश हो गए यह देखते हुए सेना में खबर फैल गई कि राणा मर चुके हैं इसी वजह से सेना पीछे जाने लगी राणा के युद्ध मैदान से बाहर ले जाया गया और यहां हाथी पर जल जाने सवार होके युद्ध किया।
राणा सागा अपने जीवन काल में एक ही युद्ध हारे जो खानवा का था।
राणा सांगा को पता चला जब वह होश में आए तब की युद्ध हार चुके हैं तो उन्होंने कहा कि अब बाबर कालपी की ओर जा रहा है तो राणा ने अपना डेरा कालपी के मैदाने में डाला यहीं पर राणा का अवसान होता है।
राणा सांगा का स्वर्गवास 30 जनवरी 1528 में हुआ था। राणा सांगा का अंतिम संस्कार मांडलगढ़ किया गया था।
राणा सांगा को 80 गांव लगे थे एक हाथ नहीं था एक पर नहीं था एक आंख नहीं थी फिर भी वह लड़ते रहे और एक भी युद्ध हारे नहीं मेवाड़ का वह सबसे शक्तिशाली राजा था।
Comments
Post a Comment