महाराणा सांगा के बारे मे यह सब आप ने नहीं जाना होगा?
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महाराणा सांगा: मेवाड़ का वीर योद्धा महाराणा संग्राम सिंह, जिन्हें महाराणा सांगा के नाम से जाना जाता है, भारत के महानतम योद्धाओं में से एक थे। वे 16 वीं शताब्दी में मेवाड़ के शासक थे और अपनी बहादुरी, त्याग, और सैन्य कौशल के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने मुगलों, लोदियों, गुजरात और मालवा के सुलतानों विरुद्ध वीरतापूर्वक युद्ध किए और राजपूताना की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन समर्पित किया। प्रारंभिक जीवन और राजगद्दी महाराणा सांगा का जन्म 12 अप्रैल 1482 को मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश में हुआ था। वे महाराणा रायमल के पुत्र थे। महाराणा रायमल के तीन पुत्र थे—प्रताप सिंह, जयमल और संग्राम सिंह। जब सिंहासन का उत्तराधिकार विवाद हुआ, तो महाराणा सांगा को अपने भाइयों से संघर्ष करना पड़ा और अंततः वे मेवाड़ के शासक बने। वीरता और युद्ध महाराणा सांगा को उनकी युद्ध-कला और शौर्य के लिए जाना जाता है। उन्होंने 18 युद्ध लड़े और इनमें से अधिकांश में विजय प्राप्त की। वे अपनी वीरता के कारण कई बार गंभीर रूप से घायल हुए और उनके शरीर पर अनगिनत घाव थे। एक युद्ध में उनकी एक आँख चली गई, एक हाथ कट गया, और एक पैर भी बेकार ह...