राणा हमीर सिंह: मेवाड़ के पुनः निर्माण और शौर्य के प्रतीक।राणा हमीर सिंह: जिसने मेवाड़ को फिर से जीवित किया

 


राजस्थान की वीर भूमि मेवाड़ का इतिहास अनेक वीरों की शौर्यगाथाओं से भरा पड़ा है। इन्हीं वीरों में से एक राणा हमीर सिंह थे। राणा हमीर सिंह ही थे जिन्होंने मेवाड़ का पुनः निर्माण कराया था। राणा हमीर सिंह एक महान योद्धा थे।

परिचय 

राणा हमीर सिंह का जन्म 1302 में सिसोदिया वंश में हुआ था।

राणा हमीर सिंह के पिता का नाम अतिशिंह था। 

राणा हमीर सिंह की मां का नाम उर्मिला था।

राणा हमीर सिंह की पत्नी का नाम सोगरी था।

राणा हमीर सिंह के बेटे का नाम केतकसिंह था।

• प्रारंभिक जीवन 

राणा हमीर सिंह का जन्म सिसोदा के एक गांव में गोहिल वंश में हुआ। जो आगे जाके सिसोदिया कहलाया क्यूंकि वो सिसोदा गांव से आए थे इस लिए सिसोदिया कहलाए जो मेवाड़ के शासक वंश था। रावल रतनसिंह सिंह के ही वंशज थे बाद में इन्हीं के वंश में राणा सांगा, महाराणा प्रताप, और राणा अमरसिंह जैसे महान योद्धाओ हुवे थे। राणा हमीर का जन्म इतिहास कारों के मुजब 14 मी शताब्दी हुआ था। मेवाड़ जब बाहरी आक्रामक से गहराया जा रहा था। इस काल में मेवाड़ पर खिलजी वंश का शासक था । राणा हमीर सिंह किसी भी तरह उनको मेवाड़ से हटाना चाहते थे।

• मेवाड़ की स्थिती और हमीर का उदय

  मेवाड़ में आखरी राजपूत राजा रावल रतनसिंह था। जिनको अलाउद्दीन खिलजी ने हराया था और उनकी लड़ते हुए रण मैदान में मृत्यु हो गई।के बाद उनकी रानी पद्मावती ने जोहार कर लिया। अलाउद्दीन खिलजी जितने के बाद अपना बेटा ख़ेजर खान को मेवाड़ सोपा उसने मालदेव सोनगरा को सोपा उसके बाद उनका बेटा बनबीर सोनगरा था। चितौड़ गढ़ गोहिलो के हाथ से निकल गया था। राजधानी निकल गई मगर मेवाड़ के कही गांव में अभी गोहिल थे। मेवाड़ के युद्ध में अलाउद्दीन खिलजी के सामने युद्ध में हमीर के पिताजी और उनके 6 भाई युद्ध में लड़ते हुए मारे जाते हैं। और उनके दादा जी भी वही युद्ध में काम आ जाते हैं।

    राणा हमीर ने आजू बाजू गांव में जाकर सारे गोहिल राजपूत को संगठित किया और एक सेना बनाई ऐसे और धीरे धीरे शक्ति प्राप्त करने लगे। उन्होंने सबसे पहले अजमेर, मंडलगढ़, और आस-पास के क्षेत्रों में छोटे किले और इलाकों पर कब्जा किया।


• चित्तौड़ का पुनः विजय और राजधानी की पुनः स्थापना

राणा हमीर सिंह की सबसे बड़ी उपलब्धि थी — चित्तौड़ की पुनः विजय। अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत में अस्थिरता का माहौल था। हमीर सिंह ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए चित्तौड़ पर हमला किया और सुल्तान के सेनापति बनबीर को पराजित कर दिया।


चित्तौड़ दुर्ग को जीतकर हमीर सिंह ने न केवल एक किला जीता बल्कि मेवाड़ की राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पुनर्स्थापना की नींव रखी। रावल रतनसिंह आखिरी राजा थे मेवाड़ के जिनके नाम के आगे रावल लगते थे।उन्होंने स्वयं को मेवाड़ का शासक घोषित किया और "राणा" की उपाधि को पुनः जीवित किया। हमीर पहले राजा थे जिन्होंने अपने नाम के आगे"राणा"लगाया जो बाद में सिसोदिया वंश के सभी शासकों की पहचान बन गई।


• शासनकाल और उपलब्धियां 

राणा हमीर सिंह का शासनकाल मेवाड़ के पुनर्निर्माण का युग था। उन्होंने न केवल सैन्य शक्ति को मजबूत किया, बल्कि किसानों, व्यापारियों और कलाकारों को संरक्षण भी दिया। उनका शासन एक आदर्श शासन माना जाता है जिसमें:


प्रशासनिक सुधार किए गए


सड़कें और किलेबंदी को फिर से मजबूत किया गया


धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिला


हिंदू संस्कृति और धर्म को पुनः प्रतिष्ठा मिली


हमीर सिंह ने मुसलमान आक्रमणकारियों के विरुद्ध अनेक युद्ध लड़े और उन्हें सफलता से हराया। उनकी शक्ति और साहस के कारण अन्य राजपूत राज्यों में भी आत्मविश्वास लौटा।


• ऐतिहासिक महत्व

राणा हमीर सिंह को इतिहास में इसलिए अत्यंत सम्मानित स्थान प्राप्त है क्योंकि उन्होंने पराजित और टूट चुके मेवाड़ को फिर से खड़ा किया। उनका योगदान केवल एक राज्य के शासक तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने राजपूत अस्मिता और संस्कृति को फिर से जीवित किया।


उनकी विजय के बाद ही सिसोदिया वंश दोबारा से शक्ति में आया और उनके वंशजों में राणा कुम्भा, राणा सांगा और महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धा पैदा हुए, जिन्होंने मुगलों और अन्य विदेशी शासकों को चुनौती दी।


• हमीर सिंह और भारतीय इतिहास

राणा हमीर सिंह का नाम भारतीय इतिहास में एक प्रेरणा स्रोत के रूप में देखा जाता है। उन्होंने अपने जीवन से यह सिद्ध कर दिया कि पराजय अंतिम नहीं होती, यदि संकल्प, संगठन और आत्मबल हो तो कोई भी हार को जीत में बदला जा सकता है।


वह केवल तलवार चलाने वाले योद्धा नहीं थे, बल्कि एक कुशल रणनीतिकार और दूरदर्शी नेता भी थे। उन्होंने केवल युद्ध नहीं किए, बल्कि सामाजिक न्याय, संस्कृति, और धर्म की रक्षा के लिए भी कार्य किया।


• लोकप्रिय संस्कृति में स्थान

राजस्थान की लोककथाओं, गीतों और इतिहास पुस्तकों में राणा हमीर सिंह का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है। मेवाड़ की गाथाओं में उन्हें पुनर्जागरण के अग्रदूत के रूप में देखा जाता है। उनके चरित्र को कई नाटकों, कहानियों और कविताओं में स्थान मिला है। चित्तौड़ के दुर्ग में आज भी हमीर सिंह की स्मृति बनी हुई है।


• निष्कर्ष

राणा हमीर सिंह न केवल मेवाड़ के पुनः स्थापक थे, बल्कि वह भारतीय इतिहास में उन चुनिंदा शासकों में से एक हैं जिन्होंने पूरी ताकत और बुद्धिमत्ता से अपने वंश, अपनी संस्कृति और अपनी भूमि को दुश्मनों से मुक्त कराया।

उनका जीवन हमें सिखाता है कि यदि संकल्प प्रबल हो तो किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है। उनके शौर्य, नेतृत्व और निष्ठा को आज भी लोग श्रद्धा से याद करते हैं।


राणा हमीर सिंह का नाम इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में हमेशा जीवित रहेगा।







Comments

Popular posts from this blog

"तात्या टोपे की गाथा: बलिदान और बहादुरी की मिसाल""1857 का वीर योद्धा: तात्या टोपे की कहानी" "तात्या टोपे: जिनकी तलवार ने अंग्रेजों को थर्रा दिया था"।

"झांसी की रानी लक्ष्मीबाई: भारत की वीरांगना"। किसने मरदानी नाम दिया।