बप्पा रावल जीनोन पूरा अरब जीत लिया था। उनके नाम से पाकिस्तान में आज भी अक शहर है।

 

बप्पा रावल को दुश्मनों पर काल की तरह बरसने की बजसे उनको महाराजा कालभोज तरीके जाना जाता हैं।

727ई. सी 753ई.सी तक शासन किया।

बप्पा रावल का जन्म 713 में हुआ था।

बप्पा रावल की मृत्यु 753 में हुई थीं।

बप्पा रावल के पिता इंडोर शासक इधर के शासक महिंद्रा द्वितीय थे।

बप्पा रावल वास्तविक नाम जैकब पेटर था।

बप्पा रावल के गुरु का नाम हरित ऋषि था।

बप्पा रावल 728 में मेवाड़ की स्थापना की।

बप्पा रावल ने जब चित्तौड़ गढ़ पर अपना अधिकार लिया तब उनकी उम्र बस 20साल की थी।

बप्पा रावल की राजधानी चित्तौड़गढ़ रही।

बप्पा रावल ने जब चित्तौड़गढ़ पर हमला किया तब चित्तौड़गढ़ पर मौर्य शासक मान मोरी राज था734 में बप्पा ने 20साल की आयु में मान मोरी को पराजित कर के चित्तौड़गढ़ पर अपना अधिकार किया 

बप्पा रावल ने उदयपुर में एकलिंग जीका मंदिर निर्माण करवाया।

मोहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण किया और सिंध में हिन्दू पर अत्याचार करना चालू किया हिन्दू को मारा गया मंदिर तोड दिए गये और सभी को मार दिया गया हिन्दू औरतो को अरब ले जाके बेचा गया ये बात जब बप्पा रावल को पता चली तो उन्होंने ये अत्याचार रोकने के लिए सेना बनाने का सोचा बप्पा रावल ने नागभट जयसिंह वर्मा के साथ मिलके एक सेना बनाई।

बप्पा रावल की सेना 12लाक 72हजार थी।

बप्पा ने मोहमद बिन कासिम को हरा के सिंध को अपने कब्जे में लिया ।

मारवाड़ मालवा गुजरात मेवाड़ के पुणे पर बप्पा का अधिकार था।

बप्पा रावल ने गजनी पर हमला कर दिया और सलीम को हराया सलीम ने अपनी पुत्री का विवाह बाप्पा के साथ किया।

बप्पा रावल की 100 रानियां थी जिनमें 35 रानियां मुस्लिम थी।

बाप्पा रावल ने पाकिस्तान में अपना केंप जहा डाला उस जगह को आज भी बप्पा के नाम से जाना जाता ह रावलपिंडी।

बप्पा रावल ने पुरा पाकिस्तान जीत लिया था। गंधार, बलूचिस्तान, सब जीत लिया था।

बप्पा के यश का अंदाज वहा से लगा सकते है हरिपाल के एक जगह को आज भी उनके नाम से बापोली रखा ह।

खलाफा ने मोहमद बीन कासिम को वापिस बुलाया मोहमद बीन कासिम पानी के रास्ते से हेजाज चला गया बप्पा भी पिछे पीछा करते हुए हेजाज़ पहुंच गए वहा बप्पा ओर बाप्पा ने हेज़ाज पे हमला किया और और जीत गए।

बप्पा का खौफ इतना रहा की 500 साल तक किसी अरबी राजा ने हिंदुस्तान की तरफ़ हमला नही किया।

बप्पा ने 39वर्ष की आयु में सन्यास ले लिया।

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