सयाजीराव गायकवाड़ : शिक्षा और समाज सुधार के महानायक।

 


भारत में कही ऐसे राजा इतिहास में हो गए जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए दूरदृष्टी की और समाज सुधारक नीतियों का जमके फैलाव किया। इन्हीं सब में एक नाम महाराज सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय है। महाराज सयाजीराव गायकवाड़ बडौदा रियासत (वर्तमान गुजरात का वडोदरा) के जो भारत देश में सभी राजा ओ में सबसे प्रगतिशील और आधुनिक सोच रखने वाले राजाओं में की जाती है।शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधारों में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

प्रारंभिक जीवन और राजगद्दी की ओर सफर

बडौदा रियासत पर गायकवाड़ वंश का शासन था। उसी समय पर अग्रेजों ने 1875 में तत्कालीन महाराज मल्हराव को गादी से हटा दिया। उसके बाद गायकवाड़ परिवार में वारिश की तलाश शुरू हुई। तभी उनकी नजर एक साधारण परिवार के गोपालराव(जो बाद मे सयाजीराव गायकवाड़ कहलाए) की तरफ नजर पड़ी राजघराने और अग्रेजों की सहमति से बालक गोपालराव को गादी का उतराधिकारी घोषित किया गया।यूं तो वे एक साधारण परिवार से आए थे, लेकिन उनकी प्रतिभा, जिज्ञासा और सीखने की क्षमता अद्वितीय थी। शिक्षा-दीक्षा के बाद 1881 में मात्र 18 वर्ष की आयु में उन्होंने बड़ौदा राज्य की गद्दी संभाली।

शासनकाल और प्रगतिशील नीतियाँ

सायाजीराव गायकवाड़ तृतीय ने लगभग 1881 से 1939 तक यानी लगभग 60 वर्षों तक बड़ौदा राज्य पर शासन किया। उनके शासनकाल को समाज सुधार, शिक्षा प्रसार और आधुनिक संस्थानों की स्थापना के लिए जाना जाता है।

1. शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

उन्होंने अपने बडौदा को शिक्षा का एक बड़ा केंद्र बनाने का सपना देखा।

सयाजीराव गायकवाड़ ने प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और मुफ्त बनाया।

1881 में महाराजा सायाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) की नींव रखी।

सयाजीराव गायकवाड़ ने लड़कियों शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया और उनके लिए महिला विद्यालय बनवाई।

सयाजीराव गायकवाड़ ने दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए विशेष रूप से छात्रवृत्ति की व्यवस्था की।


2. सामाजिक सुधार

सयाजीराव गायकवाड़ दहेज प्रथा और बालविवाह के सक्त खिलाफ थे।

विधवाओं के पुनर्विवाह को प्रोत्साहित किया।

सयाजीराव गायकवाड़ ने हरिजन समाज को समान अधिकार दिया।

समाज में जातिवाद को कम करने के लिए सुधारवादी कार्यक्रम चलाए।

3. स्वास्थ्य और लोककल्याण

अस्पतालों, औषधालयों और स्वच्छता योजनाओं की शुरुआत की।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएँ  पहुँचाने पर ध्यान दिया।

किसानों को कृषि संबंधी आधुनिक साधन और तकनीक उपलब्ध

 कराई।

4. आर्थिक और प्रशासनिक सुधार

सयाजीराव गायकवाड़ ने कर व्यवस्था में सुधार किया और लोगों को कम कर देना पड़े एसी नीति बनाई।

उन्होंने कही सिंचाई परियोजनाएं शुरू की।

किसानों को ऋण देने के लिए कही सरकारी संस्थाओं की स्थापना की। और किसानों को कही बार ऋण माफ किया।

उद्योग और व्यापार को प्रोत्साहन दिया।

डॉ. भीमराव अंबेडकर के संरक्षक


सायाजीराव गायकवाड़ का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिभा को पहचाना। अंबेडकर जी की उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने आर्थिक मदद की।


उन्होंने छात्रवृत्ति प्रदान कर डॉ. अंबेडकर को अमेरिका और इंग्लैंड में पढ़ाई करने का अवसर दिया।


यदि यह सहयोग न मिलता तो अंबेडकर जी के लिए विदेशी शिक्षा प्राप्त करना कठिन हो सकता था।


यही कारण है कि अंबेडकर सदैव सायाजीराव गायकवाड़ के ऋणी रहे।


संस्कृति और कला के संरक्षक


सायाजीराव गायकवाड़ कला और संस्कृति के भी बड़े संरक्षक थे।


उन्होंने संगीत, साहित्य और ललित कलाओं को संरक्षण दिया।


राज्य में पुस्तकालयों और संग्रहालयों की स्थापना की।


उन्होंने संस्कृत और मराठी साहित्य को बढ़ावा दिया।


कई विद्वानों और लेखकों को संरक्षण प्रदान किया।


महाराजा सायाजीराव विश्वविद्यालय (MSU) की विरासत


आज वडोदरा का महाराजा सायाजीराव विश्वविद्यालय भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों में गिना जाता है। इसकी स्थापना सायाजीराव की शिक्षा के प्रति दूरदृष्टि को दर्शाती है।


यह विश्वविद्यालय न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश में उच्च शिक्षा का केंद्र बना। इसमें आज भी लाखों छात्र पढ़ाई कर रहे हैं।


ब्रिटिश सरकार से संबंध


सायाजीराव गायकवाड़ तृतीय ब्रिटिश हुकूमत के अधीन प्रिंसली स्टेट (रियासत) के शासक थे, लेकिन वे अंग्रेजों के अंधभक्त नहीं थे।


वे भारतीय स्वाभिमान के पक्षधर थे।


उन्होंने अंग्रेजों की गलत नीतियों का कई बार विरोध किया।


भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दिया।


कई स्वतंत्रता सेनानियों को आर्थिक और नैतिक समर्थन दिया।


सादगी और जनसेवा


महाराजा सायाजीराव भले ही एक बड़े राज्य के शासक थे, लेकिन उनका जीवन सादगीपूर्ण था। वे जनता की समस्याओं को नजदीक से समझते थे और सीधे संवाद करना पसंद करते थे।


उनकी प्राथमिकता हमेशा जनसेवा और समाज का विकास था। यही कारण है कि वे जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय रहे।


निधन


6 फरवरी 1939 को महाराजा सायाजीराव गायकवाड़ तृतीय का निधन हुआ। लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी जीवित हैं। वडोदरा और गुजरात ही नहीं, पूरे भारत में उन्हें एक प्रगतिशील और समाज सुधारक शासक के रूप में याद किया जाता है।


निष्कर्ष


सायाजीराव गायकवाड़ तृतीय केवल एक शासक ही नहीं बल्कि एक दूरदर्शी समाज सुधारक, शिक्षा प्रेमी और जनसेवक थे।

उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज सुधार, संस्कृति और कला के क्षेत्र में ऐसे कदम उठाए, जिनका लाभ आज भी पीढ़ियाँ उठा रही हैं।

उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महामानव को शिक्षा दिलाकर भारत को एक महान संविधान निर्माता दिया।


सायाजीराव गायकवाड़ का जीवन हमें यह संदेश देता है कि सच्चा शासक वही है जो सत्ता को जनता की सेवा और समाज सुधार के लिए उपयोग करे।


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