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Showing posts from August, 2025

"स्वतंत्रता के प्रज्वलित दीप: नेताजी सुभाष चंद्र बोझ का अद्वितीय संघर्ष"

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  प्रस्तावना: भारत स्वतंत्रता संग्राम में कही महापुरुषों ने अपना योगदान दिया कही महापुरुषों ने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। सबमें एक महापुरुष ऐसे भी हो गए जिन्होंने अपना अदभुत साहस और शौर्य दिखाया एक अनूठे दृष्टिकोण से आजादी की लड़त लड़ी जिसकी वजह से स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। वह नेता थे नेताजी सुभाष चंद्र बोझ। उन्होंने नारा दिया "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा"आज भी देश वासिया उन्हें गर्व और सम्मान से उनका नाम लेते हैं।नेताजी न केवल एक क्रांतिकारी थे, बल्कि एक कुशल संगठक, देशभक्त और विचारक भी थे, जिनकी दृष्टि भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाने पर केंद्रित थी। प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक शहर में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रसिद्ध वकील थे और माता प्रभावती देवी एक धार्मिक महिला थीं। बचपन से ही सुभाष मेधावी और अनुशासित थे। उन्होंने कलकत्ता (अब कोलकाता) के प्रेसीडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की।।। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था। सुभाष चंद्र बोस का जन्म ओडि...

"पंडित जवाहरलाल नेहरू: आधुनिक भारत के निर्माता की प्रेरक गाथा"।

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 भारत स्वतंत्रता संग्राम मैं कई महापुरुष ने अपना योगदान दिया है। इन सब का हमें ऋणी रहना चाहिए। इस स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन की नींव रखी हो ऐसा अगर एक नेता हो तो वह जवाहर लाल नेहरू है। जवाहर लाल नेहरू एक बेहतर नेता नहीं बल्कि एक अच्छे लेखक, बच्चों के प्रिय `चाचा नेहरू ` भी थे उनका पूरा जीवन अपने राष्ट्र की सेवा में गया है। प्रारंभिक जीवन : जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एक समृद्ध परिवार कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। जवाहर लाल नेहरू के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था। जवाहर लाल नेहरू की माता का नाम स्वरूप रानी था। जवाहर लाल नेहरू की पत्नी का नाम कमला कोल था। जवाहर लाल नेहरू एक बेटी थी जिनका नाम इंदिरा गांधी था। जवाहर लाल नेहरू को चाचा कहकर बुलाते थे। शिक्षा: जवाहर लाल नेहरू को बचपन से ही अच्छी आधुनिक शिक्षा मिली थी। जवाहर लाल नेहरू को पढ़ने के लिए विदेश भेजा गया उन्हें शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा जाता है। जहां उन्होंने हैरो स्कूल और बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक किया। उसके बाद लॉ की पढ़ाई करने के लिए उन्हें लंदन से लॉ की डिग्री ली...

"राणा कुम्भा: मेवाड़ के स्थापत्य और शौर्य का प्रतीक"।"कुम्भगढ़ के निर्माता: राणा कुम्भा का जीवन और योगदान"।

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  प्रस्तावना राजस्थान एक वीरों की भूमि है राजस्थान की भूमि पर कही महान योद्धा ओ ने जन्म लिया। यहां पर असंख्या राजा, महाराजा और कही योद्धा हुवे जिन्होंने अपने पराक्रम और शौर्य से अपना नाम का इतिहास रचा। यही महान योद्धाओ में एक महाराजा राणा कुम्भा भी थे, जिन्होंने मेवाड़ के शासक और सिसोदिया वंश के गौरवशाली राजा थे।राणा कुम्भा केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक विद्वान, स्थापत्यकला के प्रेमी, और संगीतज्ञ भी थे। उनके शासनकाल में मेवाड़ ने सांस्कृतिक, धार्मिक और सैन्य रूप से अपूर्व उन्नति की। राणा कुम्भा का प्रारंभिक जीवन राणा कुम्भा का जन्म 1417 में हुआ था। राणा कुम्भा के पीता का नाम मोकल था जो मेवाड़ के राजा थे। राणा कुम्भा की माता का नाम सौभाग्यदेवी था। राणा कुम्भा का मूल नाम कुंभकर्ण सिंह था। राणा कुम्भा बाल्यकाल से ही वे बुद्धिमान, और पराक्रमी थे। राणा कुम्भा की सात पत्नियां थी। और 14 बच्चे थे। राजगद्दी की प्राप्ति 1433 में राणा मोकल हिंदू बादशाही स्थापित करने के लिए निकले तभी चाचा मेरा, और राणा क्षेत्रासिंह के दासी पुत्रों ने मिलकर राणा मोकल की हत्या कर दी। यह बात जब मेवाड़ में पता ...